प्यारे बच्चों

कल सपने में देखा -मैं एक छोटी सी बच्ची बन गई हूं । तुम सब मेरा जन्मदिन मनाने आये हो । चारों ओर खुशियाँ बिखर पड़ी हैं ,टॉफियों की बरसात हो रही है । सुबह होते ही तुम में से कोई नहीं दिखाई दिया ।मुझे तो तुम्हारी याद सताने लगी ।

तुमसे मिलने के लिए मैंने बाल कुञ्ज के दरवाजे हमेशा के लिए खोल दिये हैं। यहाँ की सैर करते समय तुम्हारी मुलाकात खट्टी -मीठी ,नाटी -मोती ,बड़की -सयानी कहानियों से होगी । कभी तुम खिलखिला पड़ोगे , कभी कल्पना में उड़ते -उड़ते चन्द्रमा से टकरा जाओगे .कुछ की सुगंध से तुम अच्छे बच्चे बन जाओगे ।

जो कहानी तुम्हें अच्छी लगे उसे दूसरों को सुनाना मत भूलना और हाँ ---मुझे भी वह जरूर बताना ।
इन्तजार रहेगा ----! भूलना मत - -

बुधवार, 30 अक्तूबर 2013

शुभ दीवाली --घर -घर जन्मो राम




दीपमणियों की जगमगाहट से भरपूर दीवाली सबको बहुत

शुभ हो।


 इस अवसर पर गणेश पूजन और लक्ष्मी पूजन मंगल कारी और  सुख का झरना बहाने वाला  होता है । इसलिए बहुत  मन लगाकर बच्चों  पूजा करनी है । 
  अब हम तुम्हें एक  कहानी भी  सुनाते हैं जो बड़ी दिलचस्प और जानकारी से भरपूर है ।  


बालकहानी

घर -घर जन्मो राम /सुधा भार्गव

रामा और लाखा दो भाई थे ।उनकी माँ बहुत सोच समझकर घर चलाती थी । न खुद पैसा बेकार की चीजों को खरीदने में नष्ट करती थे और न बच्चों को करने देती थी । उनको रोज एक -एक टॉफी  देती थी  ।लाखा का एक टॉफी से जी  नहीं भरता । रामा अपने भाई को बहुत प्यार करता था ।उससे उसकी ललचाई निगाहें  नहीं देखी जातीं इसलिए अपने हिस्से की टॉफी   उसके लिए बचा कर रख देता ।

दिवाली के दिन भी भाईयों को 20 -20 रुपए के फुलझड़ी और पटाखे मिले । रामा ने कुछ फुलझड़ी और एक बम पटाखा अपने भाई के लिए रख दिया  ।




शाम होते  ही वे घर के पिछवाड़े ,मैदान में जा पहुंचे । अंधेरा होते ही लाखा ने फुलझड़ी छुटानी शुरू कर दी ।

 जल्दी ही खिसियाते बोला –
-भैया ,फुलझड़ी तो खत्म हो गई ।
-ले मेरी भी छुटा ले । रामा बोला ।

उस समय तक  उनके पड़ोस में रहने वाले बच्चे अलटू-पलटू भी आन धमके थे  । वे ऊंची हवेली के रहने वाले थैला भरकर पटाखे लाये । 
उनकी बात सुनकर पलटू ज़ोर से हंसा –
-अरे दो-चार पटाखों से क्या होता है । ये देख-- मेरे पटाखे !झोला भरकर हैं । अब होगा इनका तमाशा –बिन पैसे का तमाशा ।



पलटू ने एक पटाखे में दियासलाई से आग लगाई और ज़ोर से हवा में उछालकर रामा की ओर फेंका । वह तो बाल –बाल बच गया वरना बुरी तरह झुलस जाता ।
-देखा –पटाखे के साथ साथ तुम भी कैसे उछल रहे हो ,बड़ा मजा आरहा है । 
एक जलती      



बमलड़ी उसने नाजुक से पिल्ले पर फेंक दी जो सड़क के किनारे बैठा था । वह जख्मी हो गया और बिलबिलाता वहाँ से भागा ।
अलटू भी फुदकने लगा –वाह भैया वाह !क्या निशाना मारा  है !
रामा को पलटू की यह बात अच्छी न लगी ।
-तुमने पिल्ले को जलाकर ठीक नहीं किया । उसने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था ।
-जले तो जले ...मेरा क्या जाता है । और भी कोई जलेगा तो बड़ा आनंद आयेगा  ----फिरकनी की तरह घूमेगा वह तो।


रामा ने उस बिगडैले हाथी से झगड़ा मोल लेना ठीक न समझा। लाखा का हाथ पकड़ते हुए बोला –
-भैया ,यहाँ से चलो , ऐसे दुष्टों के साथ रहना ठीक  नहीं ।ऐसे ही लोगों के कारण झोपड़े जलकर राख़ हो जाते हैं और बेचारे गरीब की दिवाली आंसुओं में डूब जाती है।    


-कहाँ जा रहे हो ?मैं जाने दूँ तब न –कहकर पलटू ने पटाखा इस प्रकार उछाला कि ठीक रामा –लाखा के सामने जाकर पड़ा ।

लाखा जलते –जलते बचा । उसके साहस को देखकर रामा  हक्का–बक्का रह गया । उसे गुस्सा भी ज़ोर से आया । उसने झपटकर पलटू से झोला छीन लिया और पास के तालाब में फेंक दिया ।
पलटू उसे मारने दौड़ा ।
-खबरदार जो हाथ उठाया । हम किसी से झगड़ा नहीं करते लेकिन हमारा कोई नुकसान करे यह हम सह नहीं सकते । अपना बचाब भी करना जानते हैं । तुम्हारे पटाखे से मेरा भाई जल जाता तो ...... । मैं अपने भाई की रक्षा करना खूब  जानता हूँ ।
पलटू का पहला मौका था जो इस तरह से उससे बातें हुईं वरना सब साथी उससे डरते थे । वह बेमन से एक के बाद एक पटाखे छोड़ने लगा ।

-अरे सब खत्म कर दोगे ---मुझे भी तो दो । उसका छोटा भाई अलटू चिल्लाया ।
-मैं तुम्हें एक भी नहीं दूंगा । ज्यादा चिल्लाया तो अभी पटकियाँ खिला दूंगा ।



दोनों बम की तरह बम -बम कर रहे थे । 
रामा –लाखा दोनों को झगड़ता छोड़ अपने घर चल दिये । दीवाली –पूजन का समय  भी हो गया था ।

ज़्यादातर घर नई दुल्हन की तरह सजे थे । पर रामा का घर मोमबत्तियों से सजा था । 


थाली में रखी  रूई की बत्तियाँ तेल में भीगी मंद –मंद हँसती रोशनी दे रही थीं ।दीपों को देखते  ही लाखा उन्हें जलाकर रखने लगा । 




 पलटू का भवन लाल नीले ,पीले बिजली के लट्टुओं से सजा अलग ही छ्टा दिखा रहा था । अचानक बिजली चली गई । पलटू का घर अंधकार में डूब गया लेकिन दीयों -मोमबत्तियों वाला घर सूरज जैसी चमकीली रोशनी से भरा हँस रहा  था ।

-माँ !माँ दीपों की माला कितनी सुंदर लग रही है। लाखा प्रसन्न हो तालियाँ बजाने लगा।
--हाँ बेटा !असली दीवाली यही है । चौदह वर्ष के बनवास के बाद जब राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे तो वहाँ के रहने वालों ने जगह –जगह दीपक जला कर खुशियाँ  व्यक्त की ।


सीता -राम -लक्ष्मण
 बिजली के लट्टुओं का जन्म तो बहुत बाद में हुआ ।

-ये राम कौन थे ?रामा ने पूछा । 
-राम !अपने माँ-बाप  की बात बहुत मानते थे ।छोटोंको प्यार करते थे ।रावण जैसे  बुरे लोगों से अच्छे लोगों को बचाते थे ।
-माँ,आज मैंने भी अपने भाई को बचाया ।
-तू मेरा राम ही तो है । माँ का प्यार उमड़ पड़ा जिसका धन ये दो पुत्र ही थे ।
-मगर माँ ,पलटू बहुत बुरा है ।
-बेटा बुरे को बुरा कहने से बुराई का अंत नहीं होता । तुम लोगों के साथ रहकर वह जरूर अच्छा हो जाएगा ।अपने अच्छे बर्ताव से उसका दिल बदल दो ।

उन्होंने बड़े प्रेम से गणेश –लक्ष्मी की पूजा की ,राम सीता और उनके छोटे भाई लक्ष्मण के आगे सिर झुकाया और प्रार्थना शुरू की -- 


  
विनती सुन लो  हे रघुराई
दुष्टों ने बड़ी धूम मचाई
घर में रोती अच्छाई
बाहर मुसका रही बुराई।
  
इसे मार भगाना है
इससे हमें बचाना है
हमको खूब पढ़ा दो राम
शक्ति हम में भर दो राम ।

बड़े –बड़े हम काम करेंगे
रावण को नहीं जीने देंगे
दुनिया में हम यश पाएंगे
 पर तुम्हें  नहीं भुलाएंगे,

जय बोलो ,ज़ोर से  बोलो
जय –जय  भगवान की ।

प्रार्थना के स्वरों और घंटी की आवाज से हवा में एक संगीत सा घुल गया । 
अलटू-पलटू अपने घर के अंधकार को चीरते हुए रामा और लाखा के घर की ओर खिंचे चले आए । प्रार्थना खतम होने के बाद रामा –लाखा ने जब पलटकर देखा तो चकित हो गए -पड़ोसी भाई  हाथ जोड़े खड़े थे ।लगता था वे अपने बुरे व्यवहार की क्षमा मांग रहे हों । प्रसन्न हो रामा ने पलटू को और लाखा ने अलटू को गले लगा लिया ।
सच में बुराई पर अच्छाई की जीत हो गई।

  


2 टिप्‍पणियां:

  1. उपासना जी रचना की प्रविष्टि के लिए शुक्रिया ।

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  2. आपने ने बहुत ही शिक्षाप्रद कहानी बच्चों के लिए दीवाली के अवसर पर जो परोसी है वह बच्चों को पसंद आएगी तथा इससे सीख भी लेंगे ऐसा मेरा विश्वास है.

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